इतिहास
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स्यारली गाँव का इतिहास
स्यारली गाँव पश्चिमी उत्तर प्रदेश के बुलन्दशहर जिले की शिकारपुर तहसील का एक मध्यम आबादी का गाँव है। यह जिला मुख्यालय से 40 किलो मीटर और तहसील मुख्यालय से 10 किलो मीटर दूर है। इसके पूर्व में अहमदगढ़, सैद गढ़ी, सलवांपुर, पश्चिम में दलेल गढ़ी, उत्तर में बाद और दक्षिण में भीकमपुर गाँव की सीमा लगती है। सब गाँवों से पक्की सड़क से संपर्क है। इस गाँव की आबादी लगभग 4000 लोगों की है जिसमें लुहाच गौत्र के लगभग 40 लोग रहते हैं। इस गाँव का कुल रकबा लगभग 3500 बीघा है जबकि लुहाच परिवार के पास 25 बीघा जमीन है। यह जमीन गहना से आकर खरीदी गई थी। इस गाँव में 2 मंदिर, 1 उच्च माध्यमिक स्कूल, 1 प्राथमिक स्कूल और 1 तालाब है। गाँव में कोई अस्पताल नहीं है। इस गाँव में लुहाच के अलावा डागुर और बाल्याण गौत्र के लोग भी रहते हैं।
इस गाँव का लुहाच परिवार बुलन्दशहर जिले के गहना गाँव से 1975 ईस्वी में आया था। गहना गाँव की वंशावली के मुताबिक पीढ़ी संख्या 36 से रतिराम लुहाच का परिवार इस गाँव में आकर बस था। रतिराम की गहना में ही मृत्यु हो गई थी। रतिराम के 4 बेटे थे। इनके नाम चरण सिंह, राजेन्द्र सिंह, बिजेंद्र सिंह और जोगेन्द्र सिंह थे। गाँव में जमीन कम थी। इस लिए चारों भाई अलग अलग गाँवों में चले गए। बड़ा भाई चरण सिंह रामपुर गाँव में जाकर बस गया। जोगिंदर बांसोठी गाँव में चला गया। राजेन्द्र और बिजेंद्र दोनों भाई स्यारली में आकर बस गए। यहाँ आकर दोनों भाइयों ने मेहनत करके 18 बीघा जमीन खरीद ली। इस गाँव में लुहाच परिवार की 39 वीं पीढ़ी चल रही है।