इतिहास
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कादराबाद गाँव का इतिहास
कादराबाद उत्तर प्रदेश के बिजनोर जिले का एक छोटा सा गाँव है। 1954 ईस्वी से पहले बिजनोर जिले का बहुत बड़ा भू-भाग जंगल से ढका हुआ था। सरकार ने इस को साफ करके भूत पूर्व सैनिकों को बसाना शुरू किया। इस योजना के तहत 1954 ईस्वी में देश के विभिन्न राज्यों से 150 भूत-पूर्व सैनिकों को एक बीघा आवास के लिए और 50 बीघा खेती के लिए जमीन दे दी। इस प्रकार 150 भूत-पूर्व सैनिकों का यह गाँव अस्तित्व में आया जिसके पास कुल 5000 बीघा जमीन है। इस गाँव में एक मंदिर, एक गुरुद्वारा, एक माध्यमिक स्तर का सरकारी स्कूल, एक चिकित्सालय और एक पशु चिकित्सालय है। इस गाँव की जमीन नहरी व खूब उपजाऊ है जिसकी सिंचाई राम गंगा नहर से कालागढ़ रिजर्वेयर से निकली माइनर से होती है। तूरतपुर, मूरलीवाला, चोहड़वाला, चंडीका और खुशहालपुर इसके सीमावर्ती गाँव हैं। इन सब गाँव से सड़क मार्ग से संपर्क है। इस गाँव के लुहाच परिवार की निकासी हरियाणा के रोहतक जिले के गिरावड़ गाँव से 1954 ईस्वी में हुई थी।
गिरावड़ गाँव की 16 वीं पीढ़ी के झुण्डा लुहाच के तीन पुत्र हीरा सिंह, मुंशी राम और हजारी सिंह पैदा हुए। हीरा सिंह की शादी हुई थी जबकि बाकी के दो भाइयों की शादी नहीं हुई थी। मुंशी राम 1948 ईस्वी में भारतीय सेना में भर्ती हो गए। 1953 ईस्वी में शारीरिक अस्वस्थता के कारण उनको सेना की नौकरी छोड़नी पड़ी और उसे मेडिकल भत्ता मिलने लगा। इसके अगले ही साल बीजनोर जिले में जंगल साफ करके बारह नए गाँव बसाये गए जिसमें भूत-पूर्व सैनिकों को बसाया जाना था। इसी योजना के तहत मुंशी राम लुहाच को भी 50 बीघा जमीन व रहने के लिए मकान दिया गया। मुंशी राम इसी साल गिरावड़ से कादराबाद आकर रहने लगा। बाकी भाई गिरावड़ में ही रह गए। क्योंकि मुंशी राम निसन्तान था और बूढ़ा हो चला था इस लिए उसने अपने बड़े भाई हीरा राम के छोटे बेटे मौजी राम को अपने पास बुला लिया। हीरा राम का बड़ा बेटा जागे राम भी सेना में सेवारत था इस लिए उसका परिवार गिरावड़ में ही रह गया।
10 जून 1971 ईस्वी को मौजी राम का परिवार गिरावड़ से कादराबाद आ गया। मौजी के चार पुत्र थे। परिवार काफी मेहनती था। जमीन काफी उपजाऊ थी। परिवार ने आगे चल कर और जमीन खरीद ली। अब इस परिवार के पास 95 बीघा जमीन है। इस समय कादराबाद में चार लुहाच परिवार रहते हैं।